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2014 में लोकसभा चुनाव होने वाला है सभी दल अपनी तैयारी में जुट गए है। अन्दर ही अन्दर दलों में उम्मीदवारों के चयन को लेकर संघर्ष जारी है इसका सबसे बड़ा उदहारण मोदी और आडवानी को देख कर लगाया जा सकता है। मोदी मुक्कदर का सिकंदर होंगे या गुजरात के अन्दर तक ही रह जायेंगे ये तो लोकसभा के नतीजे बताएँगे लेकिन उससे बड़ी समस्या भाजपा के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की है आखिर एक पद के लिए इतना संघर्ष क्यूँ ? देश के बड़े पद पर बैठने की चाहत तो सबकी होती है लेकिन नाम से कुछ नहीं होने वाला देश को काम करने वाली सरकार चाहिए नाम की नहीं। आडवानी जी को एक मौका मोदी को देना चाहिए और इंतज़ार करना चाहिए उन नतीजों का जो देश की तसवीर और तकदीर दोनों बदल दे। भारत की अर्थव्यवस्था वैसे ही ढीली पड़ गयी है इस समय भारत को एक ऐसा व्यक्ति चाहिए जो उसे खड़ा कर सके और भारत के भविष्य के साथ आगे बढ़ें। युवाओं को आगे लाये जो राजनीति से नफरत नहीं राजनीति से उन्नति की और अग्रसर होने का प्रयास करें। अगर देश की जनता मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखना चाहती है तो जरुर भाजपा को मोदी को स्वतंत्र रूप से उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव के लिए एक मौका देना चाहिए इसलिए मेरा मानना है की नाम जिसका भी लिया जाए उसको अपने काम में विश्वास करना चाहिए। बड़े नाम के नेता होना जरुरी नहीं देश के लिए बड़ा काम करने का हौसला रखने वाला चाहिए ।
ऋतु राय
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