ऋतु समय
- 20 Posts
- 14 Comments
तुम कोई परिभाषा नहीं हो
किसी दबे विचारों की अभिलाषा नहीं हो
तुम तो हो सजीव जीवन
मानव मन में बसी भगवन
रूप तुम्हारा तय नहीं है
नारी रूप अव्यय नहीं है
सदन की तुम संपत्ति हो
परिवार की तुम प्रस्तुति हो
ह्रदय की तुम आवृति हो
बच्चो के लिए तुम स्तुति हो
परम्परा की तुम प्रेमी हो
माँ तुम हमारी देवी होऋतु राय
Read Comments